copyright. Powered by Blogger.

ताम्बुल और ताम्बुली

>> Tuesday, December 27, 2011




जिस तरह से 
ताम्बूल पर 
सही मात्रा में 
लगाना पड़ता है 
कत्था - चूना 
और डालना पड़ता है
मिठास के लिए 
थोड़ा गुलकंद ,
सुगंध के लिए 
कुछ इलायची 
और तभी 
खाने वाला 
आनंद लेता है 
बिना मुँह कटे 
पान का  और 
रच जाता है मुँह 
लाल रंग से .
उसी तरह से 
रिश्तों को पान सा 
सहेजने के लिए 
बनना चाहिए 
ताम्बूली .


69 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा 12/27/2011 8:24 AM  

सांसारिक होने के लिए ताम्बुली होना आवश्यक है।

Anupama Tripathi 12/27/2011 9:18 AM  

sunder rachna ...alag bimb liye ...

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) 12/27/2011 9:54 AM  

बीड़ा पान का उठाया जाये
रिश्तों को ताम्बुली बनाया जाये.

सुंदर सद्भाव , बढ़िया रचना.

सदा 12/27/2011 10:40 AM  

वाह ...बहुत खूब ।

Suman 12/27/2011 10:44 AM  

सही कहा है सब कुछ सही प्रमाण में हो तो ही,
रिश्तों में रंगत, और खुशबुदार मिठास होती है !
बहुत सुंदर ....

vandana gupta 12/27/2011 10:45 AM  

बहुत सुन्दर बिम्ब प्रयोग्………सुन्दर भावाव्यक्ति।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 12/27/2011 10:48 AM  

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 28-12-2011 को चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

ऋता शेखर 'मधु' 12/27/2011 10:59 AM  

वाह!बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

वाणी गीत 12/27/2011 11:16 AM  

बहुत कठिन है डगर ताम्बुली की ...अपने स्वाभिमान को कहाँ गिरवी रखें !!

अनामिका की सदायें ...... 12/27/2011 11:16 AM  

bimbo/prateekon ka prabhavshaali prayog karte hue jiwan ko margdarshan deti sunder rachna.

प्रतिभा सक्सेना 12/27/2011 11:23 AM  

वाह,फ़ार्मूला अच्छा है !

Unknown 12/27/2011 11:23 AM  

वाह..! रिश्तों की नयी परिभाषा बधाई

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" 12/27/2011 11:31 AM  

taambul ke madhyam se jindagi ko behtarin nasihat..sadar pranam aaur badhayee ke sath

Rakesh Kumar 12/27/2011 12:52 PM  

'ताम्बुल और ताम्बुली' से आपने मुहँ
में गुलुकंद ही घोल दिया है.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

आने वाले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
वीर हनुमान का फिर से बुलावा है.

Anita 12/27/2011 1:34 PM  

वाह ! ताम्बुली होकर रिश्तों में महक लाने का नुस्खा बताती आपकी यह रचना प्रशंसनीय है..रिश्ते दर्पण की तरह होते हैं उनमें हम खुद को ही तो देखते हैं.

मनोज कुमार 12/27/2011 1:39 PM  

लाली तो तभी निखरेगी होठों पर जब मिश्रण उचित और वाजिब हो!

Kunwar Kusumesh 12/27/2011 1:58 PM  

रिश्तों को पान सा
सहेजने के लिए
बनना चाहिए
ताम्बूली ..........वाह,नयी सोंच.

V G 'SHAAD' 12/27/2011 2:35 PM  

पान की लाली रची है उनके लबों पर
दिल तो अपना बस मिठास ले रहा है /

sonal 12/27/2011 2:57 PM  

kitni gehri baat kah gai aap .... kitne saral shabdon mein

Sadhana Vaid 12/27/2011 3:30 PM  

बेहतरीन रचना है संगीता जी ! संबंधों में मिठास बनी रहे इसके लिये सभी रिश्तों और भावनाओं का उचित मात्रा में संतुलन बनाये रखना बहुत ज़रूरी है ! आपकी सूक्ष्म दृष्टि और अनुपम कल्पना शक्ति की हृदय से कायल हूँ मैं ! बहुत सुन्दर !

shikha varshney 12/27/2011 3:37 PM  

वाह क्या बिम्ब दिया है.बहुत ही खूबसूरत भाव और सन्देश भी.
यूँ वाणी जी की बात भी कबीले गौर है :).

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') 12/27/2011 4:16 PM  

इतनी सहजता से कितनी गहरी बात कहती है दी यह रचना.... सुन्दरतम....
सादर बधाई...

Amrita Tanmay 12/27/2011 5:19 PM  

गहन बिम्ब लिए महकती हुई रचना और लाली बिखेरती हुई भी ...

स्वाति 12/27/2011 6:54 PM  

utkrisht aur nayi soch....taambuli ki chahat magar aaj hai kitno ko? sansarik sukh aur jeevan ke aapa-dhapi me sab magan aur vyast hai....prerna daayi rachna....

Bharat Bhushan 12/27/2011 6:57 PM  

रिश्तों की खुशबू पर कत्थई रंग की महकती रचना.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद 12/27/2011 8:31 PM  

अरे! आप तो उस ज़र्दे को भूल गई जिसमें प्यार का नशा भी होता है :)

www.navincchaturvedi.blogspot.com 12/27/2011 9:22 PM  

मामूली सी बात को किस तरह रोचक बनाया जाता है, ये कला तो आप से सीखनी पड़ेगी दीदी

ASHOK BAJAJ 12/28/2011 7:59 AM  

सुन्दर अभिव्यक्ति.

रश्मि प्रभा... 12/28/2011 9:35 AM  

रिश्तों की ताम्बुली में अक्सर कला ज़र्दा पड़ जाता है- जो बीमारी बन जाता है

Jeevan Pushp 12/28/2011 11:09 AM  

प्रेरणादायक रचना !

vidya 12/28/2011 11:25 AM  

बहुत सुन्दर संगीता जी...अदभुद तुलना..
उस ताम्बुली को स्नेह की लौंग से कस दिया जाये तो शायद कभी ना खुले...
सादर.

कुमार संतोष 12/28/2011 1:49 PM  

Waah Bahut khoob Sunder rachna !!

दिगम्बर नासवा 12/28/2011 5:54 PM  

सच कह है ... रिश्तों को भी सहेजना पढता है ... मीठे की तरह ... गज़ब की सोच है ...
नव वर्ष मंगलमय हो ...

RITU BANSAL 12/28/2011 6:01 PM  

सुन्दर भावपूर्ण रचना.. kalamdaan.blogspot.com

Yashwant R. B. Mathur 12/28/2011 6:05 PM  

बहुत सही बात कही है आंटी!

सादर

चला बिहारी ब्लॉगर बनने 12/28/2011 7:21 PM  

संगीता दी,
सोच रहा हूँ, आपके ओब्ज़र्वेशन की दाद दूं या फिर इस कविता की सुंदरता की!! दोनों की!!

रजनीश तिवारी 12/28/2011 7:53 PM  

बहुत सुंदर रचना । शुभकामनाएँ ।

कुमार राधारमण 12/28/2011 8:02 PM  

एकदम सही। उस विराटता में ही संबंधों की नींव होती है,जिसमें कत्थे,गुलकंद और इलायची के साथ-साथ,चूने के लिए भी जगह हो।

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" 12/28/2011 8:05 PM  

waaaaaaaaah

fir to rishte sachmuch swadisht ho jayenga, paan ki tarah...

sunder rachna..

Mamta Bajpai 12/29/2011 3:51 PM  

वाह वाह क्या बात है
बहुत काम की बधाई

Anju (Anu) Chaudhary 12/30/2011 11:49 AM  

बहुत सही से रिश्तों की मिठास को बनाये रखने का तरीका बताया आपने ...वाह

M VERMA 12/30/2011 8:27 PM  

ताम्बूली को शत शत प्रणाम

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 12/30/2011 10:26 PM  

बहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन बिम्ब प्रयोग ,.....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..

नई पोस्ट --"काव्यान्जलि"--"नये साल की खुशी मनाएं"--click करे...

Suman 12/31/2011 10:57 AM  

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

Rakesh Kumar 12/31/2011 3:11 PM  

संगीता जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.

मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.

नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

ऋता शेखर 'मधु' 12/31/2011 5:10 PM  

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Onkar 12/31/2011 6:12 PM  

bahut sundar. gagar mein sagar.

निवेदिता श्रीवास्तव 12/31/2011 11:17 PM  

नववर्ष की शुभकामनायें....

Unknown 12/31/2011 11:32 PM  

▬● अच्छा लगा आपकी पोस्ट को देखकर...
यह पेज देखकर और भी अच्छा लगा... काफी मेहनत की गयी है इसमें...
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके लिए सपरिवार शुभकामनायें...

मेरे ब्लॉग्स की तरफ भी आयें तो मुझे बेहद खुशी होगी...
[1] Gaane Anjaane | A Music Library (Bhoole Din, Bisri Yaaden..)
[2] Meri Lekhani, Mere Vichar..
.

सुनीता शानू 1/01/2012 9:53 AM  

नव-वर्ष आपको व आपके समस्त परिवार के लिये मंगलकारी हो इसी शुभकामना के साथ।

अवश्य पढ़ियेगा... आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल बूढा मरता है तो मरे हमे क्या?

महेन्‍द्र वर्मा 1/01/2012 9:55 AM  

नए विचार, नए भाव।
रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं, उन्हें सहेजते रहना ही जीवन है।

मेरा मन पंछी सा 1/01/2012 1:34 PM  

रिश्तों को पान सा
सहेजने के लिए
बनना चाहिए
ताम्बूली .
बहूत सुंदर रचना है...
नववर्ष कि शुभकामनाये

समयचक्र 1/01/2012 5:44 PM  

नव वर्ष के शुभ आगमन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

सुज्ञ 1/01/2012 6:19 PM  

नववर्ष की अनंत शुभकामनाएँ

dinesh aggarwal 1/01/2012 11:52 PM  

क्या बात कहीं,क्या बात कहीं।
सौलह आने यह बात सही।।
नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.....

देवेन्द्र पाण्डेय 1/02/2012 10:17 PM  

किसी भी पत्ते में जो जहरीला ना हो सही मात्रा में लगायें कत्था चूना और दबा लें मुंह में तो तांबूल का मजा देता है। कहने का मतलब यह कि ताम्बुली होना ही बड़ी बात है।

Rajput 1/03/2012 2:56 PM  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
नववर्ष की शुभकामनायें

Rajput 1/03/2012 3:02 PM  

नक्सलवाद और राजनीती की भेंट चढ़ चूका है ये प्रक्रतिक द्रश्य.
सुन्दर विवरण. नए साल की शुभकामनाये

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami 1/03/2012 4:56 PM  

वाह ! अद्भुद बिम्ब !
शुभकामनाएं।
नव वर्ष मंगलमय हो।

Naveen Mani Tripathi 1/08/2012 2:22 PM  

रच जाता है मुँह
लाल रंग से .
उसी तरह से
रिश्तों को पान सा
सहेजने के लिए
बनना चाहिए
ताम्बूली .
prabhavshali rachana pr hardik badhai.mere naye post pr amantran sweekaren.

Madhuresh 1/17/2012 6:44 AM  

Bahut achha laga aapke blog pe aakar... bahut achhi rachnayen padhne ko mili.. dhanyavaad!

sushila 1/21/2012 6:03 PM  

रिश्तों में मिठास लाने के लिए बनना चाहिये तांबुली! बहुत पावन और कल्याणकारी सोच और बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

Arun sathi 2/15/2012 7:43 AM  

kash ki main v panbadi hota..

Dana 11/10/2012 10:19 PM  

sunder rachna ...alag bimb liye ...

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है...

आपकी टिप्पणियां नयी उर्जा प्रदान करती हैं...

आभार ...

हमारी वाणी

www.hamarivani.com

About This Blog

आगंतुक


ip address

  © Blogger template Snowy Winter by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP