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विश्वास

>> Saturday, September 20, 2008

विश्वास ,
यह शब्द कह कर
इंसान यह बता देता है
कि कहीं न कहीं
उसके जेहन में
अविश्वास है।

इंसान
ख़ुद ही शक पैदा करता है
और अपनी इस कमजोरी को
दूसरों पर
आरोपित कर देता है
यह कह कर कि
तुमने -
मेरे विश्वास को तोडा है ।
ये विश्वास क्या है?
मेरी नज़र में
अपने विश्वास पर
अति विश्वास
अन्धविश्वास है
और ,
शक की ज़रा सी दरार
विश्वासघात है ।
फिर इन्सान
अपने से अधिक यकीं
दूसरों पर क्यों करता है ?

अपने यकीं पर यकीं रखोगे
तो
न अन्धविश्वास होगा
और न ही
विश्वासघात.

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